Thursday, March 20, 2008

जो हम कह ना सकें


हर कोई अपनी बात को लोगों तक पहुँचाने के लिए कुछ ना कुछ माध्यम अपनाता है चाहे वह कोई भी हो। माँ अपने बेटे तक अपनी बात पहुँचाने के लिए अपनी सेवा सहित हर उस छोटी छोटी बात के ख्याल कर बेटे को जता देती है कि उससे कितना प्यार करती है। पिता भले ही उपर से सख्त हों लेकिन वक्त बे वक्त अपनी संवेदनाओं को जाहिर करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। चाहे वो एक आम इन्सान या कोई बहुत ही बड़े सेलीब्रेटी ही क्यों ना हों। अब रही बात बेटों की तो इसमें थोड़ी सी कंजूसी आसानी से देखी जा सकती है। बात हम अपने आस पास की करें तो ये बातें हम यूँ ही राह चलते हुए देख सकते हैं। आधुनिक कहे जाने वाली संतान कहती है कि ये तो उनके फर्ज था, सो ये तो उनको करना ही था। कुछ और मॉडर्न ख्याल की संताने कहती हैं कि, पैरेंन्टस तो अपनी मस्ती मना रहे थे,उसी के नतीजे के रुप में हम पैदा हो गये हैं। अब भला उनको कोई कैसे समझाये कि आज के इस सोंच तक आप को पहुँचाने के लिए माता-पिता ने कितने पापड़ बेले।
लेकिन संवेदनाएँ मरी नहीं हैं। आज भी लोग हैं जो श्रवण कुमार की याद ताजा कर देते हैं। माता पिता को भले ही अपने कंधे पर बिठा कर तीर्थ यात्रा तो नहीं करा रहें हैं लेकिन वो भाव रखते हैं। अमिताभ बच्चन अपनी माँ के देहान्त के बाद बिखरते से नजर तो आये लेकिन अपनी सारी शक्ति को समेट कर माँ के साथ हर उस पल को समेट कर रखा जो उनके दिल के बेहद करीब था। ये बात साफ जाहिर कर दिया कि क्या अहमियत थी उनके जीवन में माता-पिता की। अब एक सवाल यह भी उठता है कि अमिताभ के किए को तो सबों ने देखा लेकिन बनारस के उस कन्हैया के किये को किसी ने नहीं जाना जिसने अपने देवता समान माता पिता के लिए हर संभव प्रयास किया बचाने के लिए शरीर का एक एक अंग बेचकर उनको लम्बी बीमारी से मुक्ति दिलाई। मैं खुद अपने दिल के हर उस कोने से मुबारक देना चाहता हूँ। और उसपर गर्व भी करता हूँ कि गुमनामी में रह कर उसने वो कर दिखाया जो बड़े बड़े लोग नहीं कर सकते हैं।
अब मूल विषय पर बात करें तो ,कुछ बातें वो होती हैं जिन्हें हम कह नहीं पाते हैं, उनको कहने के लिए भावनाए सबसे ज्यादा बलवती होती हैं। हमें तो चाहिए उन भावनाओं की सहायता ले उन बातों को अपने आदर्शों तक पहुँचाने के लिए। बातों को जितना जल्दी हो कह देना चाहिए कहीं देर ना हो जाए। पुराणों में लिखी बातें मातृ देवो भव पितृ देवो भव, शत प्रतिशत सही हैं।