Saturday, December 4, 2010
माँ रेवा...
Kandisa, हकीकत है नदियाँ हमारी लिए माँ से कम नहीं । लेकिन ना तो आज हम माँ को ही याद कर रहे और ना ही अपनी इन नदियों को लेकिन जरुरत है अपनी संस्कृति से जुड अपने आप का उत्थान करे साथ ही लोगों को इससे अवगत भी कराएँ। इसी प्रयास में मैने इंडियानामा में इंडिया के कोने कोने से कुछ संगीत आपको सुनाने की चेष्टा कर रहा हूँ ।आप अपने विचार जरुर बताएँगे...।
दुनिया हमारी कदम में.....
Hille Le
ये हमारी कदमों की आहट है, मैंने इसे अपने परिश्रम के काल से सुनते आ रहा हूँ आप भी इसे सुनिए शायद आपको पसंद आए... ये उन कर्मठ लोगों की दास्तां है जो हवा का रुख बदलने का दम रखते हैं.....।
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