पिछले दिनों एक बात देखी, समाज में असमानता कितनी है। इस बात को बड़ी शिद्दत से महसूस किया मैंने। अगर बात मध्यमवर्ग की होती या किसी खास वर्ग विशेष की होती तो बात इतनी खलती नहीं। यह बात उन के संदर्भ में थी जो देश के लिए गौरव और जी जान से अपनी शत प्रतिशत देने की कोशिश करते हैं। यहां पुरुष और महिलाओं का भेदभाव का साफ तौर पर दिखा। इसके बाद कई तर्क वितर्क दिए जा सकते हैं कहा यह जा सकता है कि जो भी मेहनताना तय किया गया वह अलग-अलग फॉर्मेट में खेलने से तय किया गया और चुकी महिलाओं का कई फॉर्मेट में हिस्सा लेना नहीं होता है इसलिए उनका मेहनताना कम है। अब आप समझ गए होंगे कि मैं किस विषय पर बात कर रहा हूं। दरअसल मैं बात कर रहा हूं बीसीसीआई के जरिए तय किए गए नए मानदंड के बारे में। बीसीसीआई के नए मानदंड तय किया है कि पुरुषों के लिएA+श्रेणी रहेगी जिसमें महज 5 खिलाड़ी हैं। कैप्टन विराट कोहली सहित इन के चार और खिलाड़ी हैं जो कि क्रिकेट के हर फॉर्मेट को खेलेंगे यानी 20 -20 , वनडे मैच और टेस्ट मैच भी खेलेंगे इनका मेहनताना 7 करोड़ रुपए सालाना है। उसी तरह से A ,B और C श्रेणी भी रखा गया है। जिन का अंतिम यानी सी श्रेणी का मेहनताना 1 करोड रूपए सालाना है।
अब बात हाल ही में महिला दिवस पर बड़ी-बड़ी बातें लिखने और कहने वालों की भी सुन ले। भारतीय महिला क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए जिनकी श्रेणी A रखी गई है, जिसमें कैप्टन मिताली राज सहित तेज गेंदबाज झूलन भी हैं इनका मेहनताना महज 50 लाख रुपए सालाना रखा गया है। यानी पुरुषों के सबसे निचले श्रेणी से भी कम। इन लोगों ने हाल ही में देश का कीर्तिमान स्थापित किया है जो शायद कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। लेकिन इनके साथ पक्षपात का व्यवहार साफ दिखाता है कि अभी भी हमारी मानसिकता नहीं बदली है। इनके लिए किसी ने आवाज नहीं उठाई, सांसदों की अगर मासिक आय कम हो जाती है तो संसद में हंगामा मच जाता है लेकिन इनके लिए ना तो संसद में आवाज उठाना ही सड़कों पर किसी ने इनकी सुध भी ली है। हम कहते जरूर हैं कि हम महिलाओं को आगे लाएंगे महिलाओं के लिए सहूलियतें देंगे लेकिन कथनी और करनी में अंतर है। यह तो बात हो गई उस जगह की जहां सबकी निगाहें हैं जो सब उन्हें देखना चाहते है, कई लड़कियों और लड़कों के आदर्श होते हैं क्रिकेट खिलाड़ी लेकिन वहां भी सौतेला व्यवहार दिखी गया। अब उन जगह पर हम बात करें जहां घंटों काम के बोझ से लोग जूझते रहते हैं महिला और पुरुष भी लेकिन महिलाओं को क्या सहूलियत मिलती है। सबसे ज्यादा बलशाली महकमा, गृह मंत्रालय को ही माना जा सकता है। राज्य पुलिस बल में तैनात महिला पुलिसकर्मियों के हालात बेहतर नहीं हैं उनके कार्य स्थल पर ना तो उन्हें जरूरी सहूलियत मिलती है और ना ही उनके लिए कोई ऐसी व्यवस्थाएं रहती हैं जिससे वह अपने कार्य सुचारु रुप से कर सके। कार्य के दौरान विराम कर सकें ऐसी सहूलियत उनके लिए नहीं होती हैं। सरकारें इस पर सोचती क्यों यह आज भी मेरे मन में सवाल बार-बार कौन सा है। शायद आपके मन में भी यह विचार आता होगा लेकिन मैंने बड़े ही बारीकी और नजदीक से वह सारी चीजें देखी हैं जहां यह तकलीफें आज भी मौजूद है। कोई बहन कोई पत्नी कोई मां जरूर ही पुलिस में या उन वर्दीधारी सुरक्षाकर्मियों में रहते हैं लेकिन उनकी सहूलियतें नाम मात्र की सहूलियतों के नाम पर महज एक छलावा रहता है। उम्मीद है आप मेरी बातों से सहमत होंगे अगर सहमत हैं तो जरूर आप भी आवाज़ उठाए।एक आवाज से दो आवाज दो से तीन आवाज तीन से चार इसी तरह कड़ी से कड़ी जोड़ते रहे तब तक जब तक सरकारे सोते हुए से जाती नहीं।
- Team India (Senior Men)
(i) Introducti on of a new category : A+
(ii) New retainership fee structure
Period
|
Grade A +
|
Grade A
|
Grade B
|
Grade C
|
Oct 2017 to Sept 2018
|
INR 7 Cr
|
INR 5 Cr
|
INR 3 Cr
|
INR 1 Cr
|
- Team India (Senior Women)
(i) Introduct ion of a new category : C
Period
|
Grade A
|
Grade B
|
Grade C
|
Oct 2017 to Sept 2018
|
INR 50 Lakhs
|
INR 30 Lakhs
|
INR 10 Lakhs
|