Wednesday, March 7, 2018

खामोशी...




रास्ते ख़ामोश हैं और मंज़िलें चुपचाप हैं,
मेरी ज़िन्दगी का मकसद, सच कहूं तो आप हैं,
आपके आने से पहले चल रही थी ज़िन्दगी .!
वो भला क्या ज़िन्दगी, जिसमें न शामिल आप हैं
ज़िन्दगी भर ख्वाब में चेहरा जो हम देखा करते ,,
वो न कोई और था, सपना भी मेरा आप हैं!!