Saturday, August 16, 2014

मित्रता के रहस्य ..

हमनें मित्रता की शुरूआत या इसे समझना तब शुरू किया जब इसे महसूस किया! कॉलेज में आने के बाद कई तरह के मित्र मिलें. लेकिन मैं अपने दिल की बातें बेहद ही अपने आप में निहीत रखा इसे कभी जाहिर नहीं किया. लेकिन अचानक से मेरे दोस्तों ने जब नई तकनीकि की सहारा लेकर मोबाईल ग्रुप शुरू किया तो हम सब एक दूसरे के करीब आए.मित्रता दिवस के अवसर पर एक दूसरे को बधाई देते हुए दोस्तों ने कई संदेश दिए मैं उनका संंकलन आपके सामने रख रहा हूँ जरा आप भी इसे देखें और अपने विचार से अवगत कराए..
1.
ईश्वर ने हमारे शरीर
की रचना कुछ इस प्रकार की है
कि ना तो हम अपनी पीठ
थपथपा सकते है और ना ही स्वयं
को लात मार सकते हैं
इसलिए हमारे जीवन में मित्र होना जरुरी है..
2.
खवाहिश  नही  मुझे  मशहुर  होने  की।
आप  मुझे  पहचानते  हो  बस  इतना  ही  काफी  है।
अच्छे  ने  अच्छा  और  बुरे  ने  बुरा  जाना  मुझे।
क्यों  की  जीसकी  जीतनी  जरुरत  थी  उसने  उतना  ही  पहचाना  मुझे।
 ज़िन्दगी  का  फ़लसफ़ा  भी   कितना  अजीब  है,
शामें  कटती  नहीं,  और  साल  गुज़रते  चले  जा  रहे  हैं....!!
3
एक  अजीब  सी  दौड़  है  ये  ज़िन्दगी,
जीत  जाओ  तो  कई  अपने  पीछे  छूट  जाते  हैं,
 और  हार  जाओ  तो  अपने  ही  पीछे  छोड़  जाते  हैं।.


हम क्या दिखाने की कोशिश करते हैं ?

ये बात मेरे समझ से परे है कि आखिर लोग अपने प्रोफाइल जो कि आज कल आम है, क्यों इस तरह से रखते हैं कि बेहद अटपटा सा लगे। शायद अपने आप को कुछ ज्यादा ही अग्रगामी समझते हों ।यहाँ मैं अग्रगामी शब्द का उपयोग कर रहा हूँ क्योकि ये शुद्ध हिन्दी है। जरा आप भी गौर करें इन तरह तरह के प्रफाइलों को ये एक नमूना है इसके बाद भी कई इस तरह के प्रफाइल सामने आए हैं। जैसे एक और सामने आया है थोडा इसे भी गौर से देखिए तो शायद आपको भी अटपटा लगे। दरअसल ये सारी बातें
कहीं ना कहीं से ली गई हैं। भले ही वो किसी के लेखन से, कवित्त से या उनके किसी गद्य के अंश से लिए गए हैं। लेकिन अपने इस अपनी बेफिक्री दिखाने की कोशिश है। क्योकि हजार घर घूमने के बाद भी किसी को चैन नहीं आता है। लेकिन क्यों चैन नहीं आता ये आज तक मैं समझ नहीं सका हूँ। केवल इन बातों को उपरी तौर पर देखा जाए तो समझ में नहीं आता लेकिन जब इसके परिदृश्य और पिछला अंश को देखा जाए तो
इनकी गूढता समझनी होगी। हाल फिलहाल में कई बार इस तरह के लिखावट की हँसी उडाई गई। लेकिन मैने तो निश्चय कर लिया है अब रुकना नहीं है, अनवरत लिखते रहना है।  चलते चलते एक और नमूना आपको दे जाउँ इसे भी देखे क्योकि ये कुछ अजीबो करीब लगेगा। ये नमूने मुझे एक बार फिर आप से मुखातिब होने का कारण दे गए। उम्मीद है कि इस तरह के कई मसले मुझे आप से जोडे रखेंगे ।...