Tuesday, January 25, 2011

साँझ का तारा...


मैं हर बार घर जाते समय सदैव देखता रहता हूँ कि साँझ का तारा हमेशा सर उँचा करके खडा रहता है। भले ही रात का अँधियारा रहे या दुधिया चाँदनी लेकिन साँझ का तारा अपने जलवे बिखेरता है ही। देखने में एक सामान्य तारे की तरह दिखने वाला हर बार मेरा सहचर बनता है। इंडियानामा में मैं इसे शामिल कर चूका हूँ कि इंडियानामा ना केवल देश और प्रदेश भर का है ये तो पूरे विश्व भर में फैला है..इस पर कुछ तुकबंदी की है.. क्योकि मैं कवि कदापि नहीं हूँ....
पश्चिम की दिशा से निकला चटकीला तारा
देखने में था अकेला, कहते हैं इसे साँझ का तारा,
नई उम्मीदें नई उर्जा बिखेरता करता नई शक्ति का संचार
चाँद की दमकती रौशनी भी रह जाती केवल सफेद गोला,
रात के चारों पहर तक
दमकता राह दिखाता साँझ का तारा,
दूधिया चांदनी रात हो, या काली घनेरी रात
अपनी रौशनी हर किसी पे बिखेरता चाहे वीरा हो या नीरा,
लाखो करोडों के हेरफेर से दूर
उतराता,खिलखिलाता अपनी ही चमक से भरपूर
इस तारे को मैं निहारता छोड अपनी चाहतों को दूर-दूर,
लेकिन अपने ही लोग हैं कि इस तारे को निहारते देख करते हैं
मुझी पर वार पर वार

एक कुलबुलाहट


ये कैसी कुलबुलाहट है कि मानती ही नहीं लोग आते हैं जाते हैं लेकिन अपनी अकुलाहट मानती नहीं। सच हम बोलना चाहते हैं लेकिन इस सच का गला घोटने से लोग परहेज नहीं करते। लेकिन इन परेशानियों से सच्चाई से अलग भी तो नहीं हो सकते। सच्चाई के साथ लडने वाली हर लडाई में सच्चे का साथ लेने वाले की होती है। लकिन इस पथ पर चलने के लिए ढेरों कुर्बानियाँ भी देनी पडती है। हाल का मामला है मनमाड में डिप्टी कल्कटर को आग के हवाले करने का। डिप्टी कल्कटर को आग के हवाले कर दिया गया क्योकि वो सच के पक्षधर थे और कालाबाजारी करने वालों का राज खोलने वाले थे। महाराष्ट्र एक प्रगतिशील राज्य के रुप में जगजाहिर है लेकिन ऐसे राज्य में इस तरह की करतूत शर्मसार करती है हमें। पूरा आवाम राष्ट्र के गणतंत्र हगोने की वर्षगांठ मना रहा है तो एक परिवार शोक में डूबा बोगा क्योकि परिवार का एक सदस्य कालाबाजारियों से लडाई लडते-लडते शहीद हो गया। डिप्टी कलेक्टर यशवंत सोनावने का पूरा परिवार शोक में डूबा होगा। इस अमानीय कृत्य पर शर्म मुझे भी आने लगती है कि क्या पैसा इतना जरुरी है कि लोग एक दूसरे को मारने पर उतारु हो जाते हैं। यही है बुद्ध और कृष्ण की भूमी की महानता।