Wednesday, September 13, 2023

चीन के BRI के जवाब में भारत का IMEC

 


व्यापार के रास्ते अगर सुगम हो तो वह इलाका निश्चित तौर पर ज्यादा तरक्की करता है। इतिहास गवाह है कि किसी भी देश ने जब भी किसी के उपर हमला किया है तो इसके पीछे निश्चित तौर पर कारण आर्थिक ही रहा है। आज भी विश्व में जो राष्ट्र आर्थिक रुप से मजबूत है उसकी बात सुनने के लिए वो देश आतुर है जो उनकी सहायता चाहता है य़ा जो उनसे कमजोर है। चीन अब विकासोन्मुख नहीं विकसित राष्ट्र है। इसका कारण भी रहा है कि विश्व के हर कोने में वहाँ के बने सामग्रियों का बाजार। यानि चीन की नई विस्तारवादी नीति का सूत्र वाक्य बन गया है कि सामान हमारा, इलाका हमारा जिसका मतलब है कि अगर हमारा सामान किसी अन्य राष्ट्र के बाजार में पहुँच गया मतलब साफ है कि वहाँ कब्जा जमाया जा सकता है। चीन की महत्वाकांक्षी योजना Belt Road Initiative साल 2013 में शुरु किया गया है। जिसके तहत चीन को सीधे यूरोपीय बाजार से जोडा जाए। चीन उज्बेकिस्तान और रुस होते हुए ये व्यापारिक रास्ता यूरोप को जोडने के लिए बनाने का का सरा विचार रहा है। हालाकि इस मुद्दे पर काम करते हुए चीन ने इसे नए सिल्क रुट की तर्ज पर विकसित करने के लिए कई इलाकों में इन्फ्रास्ट्रक्रचर का निर्माण शुरु कर दिया है। इस निर्माण की कवायद ने अमेरिका और अन्य राष्ट्र चीन के इस नीति के खिलाफ हैं विश्व व्यपार के लिए खतरा मान रहें है। लेकिन इस संभावित खतरे से निपटने के लिए कुटनीति के साथ विकल्प की जरूरत थी। जिसकी अगुआई भारत ने की है। भारत ने रूस और मध्यपूर्व राष्ट्र के साथ मिलकर भारत-मिडिल ईस्ट- यूरोप गलियारा India Middle East Europe Corridor  पर आपसी सहमति G-20   के दिल्ली शिखर सम्मेलन में संबिधित राष्ट्रों से करवा लिया। व्यापार का नया अवसर किसी एक का एकाधिकार नहीं रहने से अब विकल्प ज्यादा दिखने लगे। क्योकि चीन के एकाधिकार और बाजार पर हर तरीके से कब्जा करने वाली नीतियों के सामने विकल्प दिखाई देने लगा जो व्यपारिक हितों के लिए बेहतर है, तो विश्व भर से इसके लिए सराहना मिली। अमेरिका जो पहले से ही चीन से त्रस्त था इसे विकास को बढाने वाला गलियारा कहा। मित्र राष्टों ने भारत के कूटनीति की प्रसंशा करने के साथ ही बढचढ कर हिस्सा लेने की बात कही और इसे दुनिया के लिए बेहतरीन और बदलने वाला बताय। दरअसल ये रास्ता कुछ हिस्सा समुद्र और कुछ हिस्सा रेल मार्ग जो जुडेगा जो कुछ इस प्रकार होगा भारत से यूएई के जाबेल अली तक सामान समुद्र के रास्ते फिर इस्त्राइल के हाइफा तक रेल मार्ग से। इसमें दूसरा चरण होगा इस्त्राइल के ग्रीस का रास्ता जलमार्ग से जो यूरोप का गेटवे हो। इसके बाद के अन्य हिस्सों में इसे आसानी से पहुँचाया जा सकता है। जाहिर है कि चीन और उसके समर्थित राष्ट्रों को इससे बडा झटाका लगा है। क्योकिं चीन ने अपने Belt Road Initiative प्रोजेक्ट में जिन लोगों को साथ लेकर काम कर रहा है उन्हें ये नागवार गुजरेगी , जिनकी सारी संभावानाएँ इसी से जुडी थीं वो इसका विरोध भी करेंगे। लेकिन जो मजबूत राष्ट्र है जो चीन के प्रजोक्ट के साथ जुडने के अलावा भारती के इस विकल्प से जुट कर अपने हित के साथ ही विश्व में एक बेहतरीन माहौल बनाने के लिए इसे एक भविष्ट का कॉरिडोर मान रहे हैं। भारत के राजनैतिक मजबूत और दूरदर्शिता का ये मिसाल बनेगा जो भविष्य में लाभ ही पहुँचाएगा।    

Saturday, April 22, 2023

देश की सही दिशा

यात्राओं का सिलसिला यूँ तो बरकरार रहता ही है, लेकिन लंबें अंतराल के बाद ये महसूस होता है कि देश की दिशा बदल रही है। मसलन अब राह तरक्की की ओर दिख रही है। वैसे मैं अपने नजरिए से इसे देख रहा हूँ इससे आप सहमत हैं कि नहीं इस बात से मैं अनजान हूँ। लेकिन इतना जरूर कह सकता हूँ कि विश्व स्तर पर भारत की छवि को देखकर ये जरूर कह सकता हूँ कि अब बदलती हुई दिशा अब बेहतरी के लिए है।जब कोई भी भारतीय राजनयिक आज से पहले विदेश यात्रा पर रहता था, तो उसकी छवि मजह औपचारिकता पूरा करने भर की थी, क्योकि ना तो कोई बेहद इज्जत मिलती थी और ना ही उसे अपनी बातें खुलकर कहने की आजादी ही थी। क्य़ोकि हम तीसरी दुनिया के सबसे पिछडे देश के रूप में जाने जाते थे। लेकिन अब नहीं सबको एक समान देखने को मजबूर हमने किया है। जिससे हमें हमारा खोया सम्मान मिल सके।

                              बहुत दिनों के बाद शब्दों को पिरोने की कोशिश कर रहा हूँ, शायद इससे आप लोग के बीच एक बार फिर पहले की तरह गुफ्तगू कर सकूँ। कुछ बातें अधूरी रह गई हैं, चर्चा जारी रहेगी ।