Wednesday, March 5, 2014

एक याद...

रोको मत टोको मत
सोचने दो इन्हें सोचने दो
रोको मत टोको मत
होए टोको मत इन्हें सोचने दो
मुश्किलों के हल खोजने दो
रोको मत टोको मत
निकलने तो दो आसमां से जुड़ेंगे
अरे अंडे के अन्दर ही कैसे उड़ेंगे यार
निकालने दो पाँव जुराबें बहुत हैं
किताबों के बाहर किताबें बहुत हैं।।।।

जीवन एक फ़कीरी

जो सुख पाऊँ राम भजन में
सो सुख नाहिं अमीरी में
मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में ॥
भला बुरा सब का सुनलीजै
कर गुजरान गरीबी में
मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में ॥
आखिर यह तन छार मिलेगा
कहाँ फिरत मग़रूरी में
मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में ॥
प्रेम नगर में रहनी हमारी
साहिब मिले सबूरी में
मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में ॥
कहत कबीर सुनो भयी साधो
साहिब मिले सबूरी में
मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में ॥