Tuesday, December 22, 2009

दिल का अज़ीज किसे कहते हैं....


आज मुझे लिखने का मन बहुत कर रहा है लेकिन शब्द और विचार आपस में जूझ रहें हैं कि क्या लिखू। एक तो मैं हर बार लिखता ही रहता हूँ कि आपस का प्यार कितना अज़ीज होता है। कोई समझे तो उसके मायने बेहद गंभर हैं। लेकिन आज मुझे ना ही अपने बारे में लिखना है ना ही किसी और के। आज एक गाने के मुखडे को आपके सामने लिख रहा हूँ शायद आप बोर हो जाए लेकिन इंडियानामा है परिचय तो कराना जरुरी है-- गाना आपने भी कभी सुना होगा.. गाना कई लोगों के दिल के अज़ीज है-- जो इस तरह से है-- दु:खी मन मेरे, सुन मेरा कहना
जहाँ नहीं चैना, वहाँ नहीं रहना
दर्द हमारा कोई न जाने, अपनी गरज के सब हैं दिवाने
किसके आगे रोना रोये. देश पराया लोग बेगाने,
लाख यहाँ झोली फैला ले, कुछ नहीं देंगे इस जगवाले
पत्थर के दिल मोम ना होंगे, चाहे जितना नीर बहा ले
अपने लिए कब हैं ये मेले, हम हैं हर एक मेले में अकेले
क्या पाएगा उस में रह कर, जो दुनियाँ जीवन से खेले,

साहिर लुधियानवी ने लिखा है, बेहद खूबसूरती के साथ लिखा है।