ये वही गाँधी मैदान है,जहाँ से कभी जयप्रकाश नारायण ने केन्द्रीय सत्ता को चुनौती दी था, और इन्दरा गाँधी को हार का मपँह देखना पडा था। आज की घटना ने ना केवल उस संस्कृति को चोट पहुँचाई जो इस गंगा की घाट पर शुरुआत होकर पूरे विश्व में एक आयाम साबित किया है बल्कि हर उस मानस के दिलो दिमाग को कौध कर रख दिया कि आखिर पवित्र भूमि अब पवित्र नहीं रही।
लगभग 1500 फीट की उँचाई से ली ये तस्वीर उस बदलते शहर की है जो कभी अपना लगता था।