Wednesday, September 19, 2007
सेतू के पहरेदारों का सच
राम के नाम पर राजनीति करने वालों के लिए जैसे भगवान ने एक नया जीवन दान ही दे दिया हो, सरकार रुपी माध्यम से राम सेतू नामक मुद्दा देकर के। समाप्ति के करीब पहँच चुकी पार्टी के लिए ऑक्सीजन का काम किया इस विकास की घोषणा ने। हर जगह एक बार फिर लोगों को भेड़ की तरह हॉक करके ले जाने की तैयारी शुरू हो गई और लोग फिर से मरने मारने पर उतारु दिखने लगे। सबसे पहले नजर में आयी सरकारी सम्पतियों को ही नष्ट करने का बीडा उठाया गया। देखते देखते आग राजधानी से छोटे शहरों की तरफ भी सुरसा की तरह अपना मुँह फैलाए पहुँचती गयी। सरकारी सम्पतियों को आग के हवाले करने में कोइ संकोच बचा ही नहीं। दुगने और चौगुने उत्साह से मौका मिलने पर आम जनता इस आग में घी डालने का काम करती रही। लेकिन सच्चाई से अन्जान और राजनैतिक पार्टियों का मोहरा बनते रही। जबकि मामले की हकीकत कुछ और बयान करती है।
भूगौलिक उथल पुथल के चलते एक स्थल से दूसरे स्थल के टूटने पर भी आपस में हल्की सी लकीर की भाँति दोनों जुडे रहते हैं। वही हाल भारत और श्रीलंका के बीच है। जबकि पुराण के हवाले से यह कहा गया कि लंका पर चढ़ाई के दौरान राम जी ने नल, नील और वानर सेना के सहयोग से एक पुल बनाया था। अब सवाल यह उठता है कि यदि पुल चढाई के दौरान बना था,तो लौटते वक्त उसका इस्तेमाल क्यों नही हुआ। जवाब तैयार मिला कि घर पहुँचने की जल्दी थी, और पुष्पक विमान भी जो मिल गया था। फिर भी बाद में किसी ने पुल का रास्ता, अपनाने की जहमत नहीं उठाई। विभीषण कभी भी पुल होने के वावजूद राम दरबार में नहीं आए। पुराणों को मानने वाले कह सकते हैं कि ,राज काज में व्यस्त हो गये सो आने में कठिनाई थी नही आ सके। लेकिन कोई निरा दूत भी तो नहीं आया। मतलब साफ है ,कही तो किवदन्ती के अनुसार पुल एक बार के उपयोग के लिए बना था। या बाद में समुद्र के पानी में बह गया। या यू कहें कि सच्चाई में बना ही नहीं था। अब थोथी राजनीति है साबित तो करना होगा ही कि पुल वहीं था और आज भी अपने अवशेष के रुप में मौजूद है।राजनेता अब लगे इतिहास और भूगोल दोनों को खंगालने मिला तो मिला नहीं, तो जय जय सीता राम करना ही है। खगोलशास्त्रीयों ने एक सिरे से सारी धारणाएँ खारिज कर दी फिर भी ये हैं, कि मानते ही नहीं। अबकी बार कुछ जोरदार खबर ले कर आने की तैयारी में है कि कहीं से फिर रामलला का कोई प्रतीक मिल जाए कि विकास विकास चिल्लाने वाले नास्तिकों के मुँह पर करारा तमाचा जड़े। अगली गुहार के लिए अगले क्रम में मुलाकात होगी........
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