Tuesday, April 22, 2008
आपके साथ एक साल
लगभग एक साल से मैं आपके साथ हूँ। गाहे ब गाहे आपको मैं अपने करीब मानता गया हूँ। लेकिन आज आपलोंगों से जुड कर यही लगता है कि कुछ तो होगा जो मुझे आपके करीब ला रहा है।वही है कि मैं अपने कैमरा मैन उदय जी के काफी करीब हो चुका हूँ। उदय जी से लगता ही नही हैं कि उनसे पहलीबार मिला हूँ। लेकिन तब और दःख हुआ जब उनकी पत्नी के दुर्घटना की खबर सुनी तो कलेजा मुँह को आ गया।भले ही उनसे एकबार भी नहीं मिला हो लेकिन जो आत्मियता मिली है वो आज भी याद है।
हम आज उनकी याद को ही रख सकते है। जब व्यक्ति चला जाता है तभी उसकी कीमत समझ में आती है। आप भी कह सकते हैं ये सारी बाते हमें आप क्यों सुना रहे हैं। कारण है बेलगाम चलती बसों ने उनकी जान ले ली। जिसके जिम्मेवार हम और आप हो सकते हैं, कभी भी हमने उनको रोकने का प्रयास नहीं किया। नहीं तो कहाँ बिहार के जहानाबाद जिले के रहने वाले उदय जी को अपनी पत्नी का दाह संस्कार अहमदाबाद में नहीं करना पड़ता। शुरुआत से बदनाम बिहार के बयों और ट्रकों ने उनकी जान नहीं ली। सबसे उन्नत राज्य के बेलगाम ट्रक ने उनकी जान ले ली। पीछे छोड़ गयी दो संतान। अब उनका सहारा कौन होगा यह चिन्ता न हमें बल्कि उदय जी के साथ रहनेवाले हर किसी को है।
ताज्जुब तब होता है जब इस मामले को प्रदेश के लोग रफा दफा करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। तब अपनी और उदय की आवाज नक्कारखाने में खोती सी नजर आती है। मैं तो हर कदम पर उनके साथ हूँ, चाहूँगा कि आप भी अपने इस सहयोगी को संबल दे। क्योकि संबल का एक वाक्य इस बेरहम दुनिया में जीने का सहारा बन जाता है।.....हे ईश्वर इतना कठोर मत बनो।
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