Sunday, March 7, 2010
हकीकत ऐसा भी.....
हकीकत है कि कोई अपना कहने का आज भरे समाज में खोजने पर ही मिलता है। हर कोई यही कहता है कि संभव तभी है जब आप अपने पास हर किसी को देखे खोजे और समझे कि कोई तो है जो आप के पीछे दीवार की तरह अडिग है और जीवन भर रहेगा। लेकिन ना तो ये कभी होगा और ना ही ये समाज होने देगा। हमने बहुत सोचा कि इस बार तो विचार बदलेगा कुछ बातें हकीकत बनेंगी, लेकिन चालाक लोमडी की तरह एक दूसरे से आगे निकलने की होड में लोग कभी भी ये नहीं भूलते कि मानवता भी कुछ चीज है जिसे बडे मजे से जिया जा सकता है। सबसे बडा आश्चर्य तब होता है जब लोग जानते हुए भी इन बातों को दुहराते हैं जिससे ना तो सरोकार है और ना ही सुनने और महसूस करने में ही अच्छा लगता है। आप भी कहेंगे कि कहाँ बेसिर पैर की हाकने लगा है, कहीं कि बातें कहीं और जोड रहा है क्या कहेगा और करेगा क्या कुछ समझ में नहीं आ रहा है तो भाई मैं आप को बता दू कि मेरे कुछ अपने विचार थे उन्हीं को शब्दों के रुप में आप के सामने लाने की कोशिश कर रहा हूँ। विचार कहने से ज्यादा सटीक होगा कि ये वो हकीकत है जो खुद पर गुजर चुकी हुई है, इसलिए इसे अनुभव के दायरे मे रखना ज्यादा बेहतर होगा। आप के साथ के वो पल तो कभी भी हम नहीं भूल सकते हैं जब आपने हमें संबल दिया। संबल ऐसा वैसा भी नहीं, जब मैंने पब्लिक में लिखने की शुरुआत की उसी समय आप लोगों ने हौसले बढाए जिससे मैं और भी उत्साहित हुआ और बढचढ कर लिखने लगा। आपलोगों के हौसले ने मेरे लिए एक नई शुरुआत की काम की जिससे हमें लगने लगा कि आप मेरे परिवार के हिस्से हैं। ये ब्लॉग लिखने के पीछे वही कारण है, जिसे आप से मैं बाँट रहा हूँ।
आज मैं अपने उसी शहर में हूँ जहाँ पला-बढा, पढाई की और ढेरों मस्तियाँ भी, लेकिन ये शहर आज मुझे अनजाना सा लगने लगा है। चेहरे जाने पहचाने से लगते हैं लेकिन भावशून्य हैं। हर कोई बेगाना सा लगने लगा है, वो गलियाँ जिनमें भगा दौड़ करके दिन बीत जाया करता था अब नहीं लगता है कि वहाँ कभी वो उधम कूद हो सकेगी। हर कोई किसी स्वार्थ सिद्धि की लालसा में लगा रहता है। इन सबके पीछे कारण देखता हूँ तो लगता है कि बदलते समाज के चलते लोगों का नजरिया बदल गया है। कुछ परिवेश की राजनीति भी इसके पीछे का कारण है। जिसको मैं भली भाँति देख रहा हूँ समझ रहा हूँ लेकिन माहौल ऐसा है कि चुप रहना बेहतर समझ रहा हूँ आखिर देखें कब तक सहनशीलता जवाब नहीं हे पाता है। जब जवाब दे देगा उसी दिन संग्राम नहीं रण होगा जो बहुत भीषण होगा....
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