Monday, November 22, 2010

राजनीति में सब जायज.......


आम आदमी के लिए ढेरों वर्जनाएँ होती हैं, लेकिन वही बडे लोगों के कुछ नहीं। क्योकि वही तो नियम कानून तय करते हैं, उन पर कौन बंधन लगाए। इन बडे लोगों में आज के राजनेता हीं सबसे पहले आते हैं। कोई हो या ना हो लेकिन राजनेता सबसे पहले याद किए जाते हैं आखिर उन्हें कौन भूलने की हिमाकत कर सकता है। करोडों डकार जाए तो उनका नाम सबसे पहले, उनके चलते देश के लोगों पर मुसीबतों का पहाड भी टूटे तो मजाल है, किसी भी नेता को अपने आँखो से ओझल कर सके। हर किसी को यही उम्मीद होती है कि आने वाला व्यक्ति उनके दुख को समझेगा और उनके साथ न्याय करेगा। लेकिन होता सब उलट। अकेले महाराष्ट्र में देख ले, आदर्श घोटाले के मामले पर पुरानी सरकार के मुखिया को पद से हटा दिया गया, तर्क था कि आदर्श मामले से मुख्यमंत्रई अशोक चह्वाण ने पार्टी की छवि खराब की है इस लिए उन्हें कोई हक नहीँ कि राज्य के मउखिया बने रहे। केन्द्र सहित राज्य से ये कहा गया कि जल्द ही साफ सुथरी छवि के लोगों को पर्टी में शामिल किया जाएगा लेकिन दिखा वही ढाक के तीन पात, वही लोग शामिल हैं जिन पर ढेर सारे घोटालों का या तो आरोप है घोटालों में दोषी हैं। लेकिन लोग चुप हैं क्योकि सब उनके लिए जायज है जो देश को चलाने का दंभ भरते हैं। अशोक चह्वाण के करीबी माने जाने वाले लोग अशोक चह्वाण के जाने से काफी दुखी थे लेकिन नए मुख्यमंत्री के साथ ऐसे साठगांठ कर बैठे कि कब दूध में पानी की तरह शामिल हो गए कहना मुश्किल है। आखिर इनके उपर कोई बंधन थोडे ही ना है। राजनीति में सब जायज के कई और भी नमूने हैं, जिन्हें अगर एक एक कर देखा जाए तो कहना मुश्किल है कि कौन इस मामले में कितना डूबा है। इन नेताओं के सिलसिले में एक व्यक्ति ने मुझे कहे है कि --- ज़मी बेच देंगे ज़मा बेच देंगे, अगर जनता ना संभली तो ये नेता देश को ही बेच देंगे.....
ये जिसने कहा है ये उसका दर्द था ... इसके बारे में विस्तार से जल्द ही बात करेंगे।

1 comment:

Sudeep Gandhi said...

आपका कथन सच्चाई से लबालब है खास करके अंतिम दो लाइन आपके विस्तार से लेखन का इन्तज़ार है।