मैं हर बार कुछ अलग कहने की कोशिश करता हूँ लेकिन कह बैठता हूँ हकीकत एक हकीकत ये भी है....
कायनात के ख़ालिक़
देख तो मेरा चेहरा
आज मेरे होठों पर
कैसी मुस्कुराहट है
आज मेरी आँखों में
कैसी जगमगाहट है
मेरी मुस्कुराहट से
तुझको याद क्या आया
मेरी भीगी आँखों में
तुझको कुछ नज़र आया
इस हसीन लम्हे को
तू तो जानता होगा
इस समय की अज़मत को
तू तो मानता होगा
हाँ, तेरा गुमाँ सच्चा है
हाँ, कि आज मैंने भी
ज़िन्दगी जन्म दी है
1 comment:
बेहतरीन एक शब्द कह सकती हूँ।
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