Tuesday, April 19, 2011

जल रहा है जैतापूर ....


महाराष्ट्र की बेतरीन वादियों का प्रदेश रत्नागिरी जल रहा है। एक दूसरे के विरोधाभाष ने दुश्मनों सा व्यवहार करने पर मजबूर किया है। हर कोई एक दूसरे पर विश्वास करना तो दूर चाहता है कि किस तरह से इस हंगामें को और बढाए। इसके पीछे और कोई नहीं राजनीतिक पार्टियों की भरपूर राजनीति है। केन्द्र सरकार चाहती है कि इस इलाके में बदलाव की हवा के साथ-साथ विकास की गति तोज कर दी जाए लेकिन राजनीतिक पार्टियाँ चाहती हैं कि विकास हो भी तो उन्हीं के शर्तों पर विकास के लिए जो भी मसविदा तैयार किया जाए उसमें स्थानीय राजनीतिक पार्टियों को भी शामिल किया जाए जिससे वो अपनी राजनीतिक चमक को और ज्यादा हवा दे सके । जिससे रत्नागिरी के सीधे सादे लोगों पर हुकूमत करके अपना उल्लू सीधा किया करे...एक ही बात कह सकता हूँ..
आदमी आदमी को क्या देगा
जो भी देगा वही ख़ुदा देगा
मेरा क़ातिल ही मेरा मुंसिब है
क्या मेरे हक़ में फ़ैसला देगा
ज़िन्दगी को क़रीब से देखो
इसका चेहरा तुम्हें रुला देगा
हमसे पूछो दोस्ती का सिला
दुश्मनों का भी दिल हिला देगा
नफ़रत का ज़हर पी लिया "फ़ाकिर"
अब मसीहा भी क्या दवा देगा

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