Wednesday, November 7, 2012

ये क्या है...


जीवन विफलताओं से भरा है, सफलताएँ जब कभी आईं निकट, दूर ठेला है उन्हें निज मार्ग से । तो क्या वह मूर्खता थी ? नहीं । सफलता और विफलता की परिभाषाएँ भिन्न हैं मेरी ! इतिहास से पूछो कि वर्षों पूर्व बन नहीं सकता प्रधानमन्त्री क्या ? किन्तु मुझ क्रान्ति-शोधक के लिए कुछ अन्य ही पथ मान्य थे, उद्दिष्ट थे, पथ त्याग के, सेवा के, निर्माण के, पथ-संघर्ष के, सम्पूर्ण-क्रान्ति के । जग जिन्हें कहता विफलता थीं शोध की वे मंज़िलें ।

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