Friday, March 20, 2009

क्या खोया क्या पाया ....२


बन्दूक दिखी तो एकबार लगा कि कोई कमांडो होगा मैं भी टकटकी लगाने लगा, लेकिन अचानक मेरी तरफ आती गोली का अहसास हुआ, लगा कि अब हो गया खबरनवीसी का जय-जय श्री राम । गनीमत था कि गोली दूर से निकल कर पीछे की दीवार में जा लगी लेकिन दीवार के पीछे खडे महाराष्ट्र पुलिस का जवान गिर पडा। आखिर वो भी इन्सान था जो जीवन में शायद पहली बार आतंकी का सामना कर रहा होगा। अपनी खीज छुपाने के लिए मुझ पर ही बरस पडा कि मेरे चलते ही आतंकी ने गोली इस तरफ चलाई। खैर किसी तरह पहली रात बीत गई। लेकिन इस पहली ही रात ने लगभग 200 शहरीयों को अपनी काली साया के नीचे लील गया। विजय सालसकर, अशोक कामटे,हेमन्त करकरे जैसे लोग शहीद हो गये। तुकाराम ओम्बले ने जान की परवाह किये बिना एक आतंकी पर हमला किया आतंकी पकडा गया लेकिन तुकाराम नहीं रहा पीछे छोड गया अपनी तीन जवान बेटियाँ। हालात ऐसे थे जिसमें ड्यूटी के खत्म होने का सवाल ही नहीं था। सुबह के लगभग 12 बजे मोर्चा इधर हम रिपोर्टर जमाए हैं तो उधर आतंकी कत्लेआम मचा रहे थे।बमों की बौछार कर रहे थे। इन बातों को लिखना लग रहा कि बेमानी है क्योकि वो सारे वाकये आँखों के समाने से होकर के गुजरने लगते हैं। लगभग 40 एम्बुलेंस ताज होटल के सामने आती रही लेकिन हम केवल बेबस बनकर देखते रहे। खैर इन आतंकियों पर काबू करना बेहद जरुरी था। लिहाजा एनएसजी कमांडो और मारकोस दस्ता ने कमान अपने हाथ में लिया। रात जिस जगह पर हम सभी खडे थे सुबह होते-होते पता चला कि लगभग सात किलो का आरडीएक्स बम आतंकियों ने नहीं छिपा रखा है। जो बात में पता लगाकर डिफ्यूज किया गया। उस बेकार किये गये बम को भी देख कर अचंभा होता था कि रात भर हम लोग आस पास ही मँडराते रह अगर गलती से भी कहीं यह बम फटता तो ताज और 100 साल से भी ज्यादा पुरानी स्मारक गेटवे तो भूल में मिल ही जाता लेकिन हमारे परख्च्चे भी नहीं मिलते।
हर कदम पर एक नई सीख थी, एक जीवन की सच्चाई दिखती थी। साथ ही अपनी सरकार पर खीज भी आती थी कि आखिर हमारी सरकार क्या कर रही थी और अभी क्य सो रही है कि लगभग 24 घंटे से उपर हो गये और एक भी आतंकी नहीं पकडा गया। मात्र 10 लोगों ने पूरे शहर को लगभग 60 घंटो तक बंधक बना कर ऱख लिया। लिहाज इसके लिए सरकार तो जिम्मेदारी लेनी ही चाहिए। लेकिन महाराष्ट्र और केन्द्र सरकार ने बलि चढा ही महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री आर.आर.पाटिल को। दिल का सच्चा आदमी बेमौत मारा गया उसकी कुर्सी इन्ही राजनेताओं ने हड़प ली ऐसा ही कहना अचित होगा। खैर ये तो दो दिनों की ही बात है अगले दिन मैं नरीमन हाउस पर था वहाँ जो कुछ आँखो के सामने देखा उसे देख कर तो आँखे झपक ही नहीं रही थीं।

No comments: