Friday, March 20, 2009

क्या खोया क्या पाया....१,


ये मैं लिख रहा हूँ लेकिन बहुत दिनों के बाद कारण मेरे निजी थे। ऐसा भी नहीं था कि मैं लिख नहीं सकता था बस केवल और केवल आलस ही था, जिसके कारण लिख नहीं पाया था, इसके लिए थोडी आपसे आज़ादी चाहता हूँ। शुरुआत मैं करता हूँ साल 2008 के अंतिम महीनों में हुए घटनाओं से। नवम्बर का महीना कितना दुखद रहा हमारे लिए ये कहनेवाली कोई बात नहीं है। हर कदम पर आतंक का नाच हुआ जिसे देख कर आम शहरी दंग रह गया। लगभग दो दिनों तक ये मुट्ठी भर आतंकी पूरे शहर को अपने गिरफ्त में ले लिये। अधिकारियों ने तो अपनी जान की बगैर परवाह किये मुकाबला लिया। सैकडों बेगुनाहों की जान गयी, बात तो यह है कि आतंकियों के इस नापाक इरादे में चूक तो हम से भी हो ही गयी है। जिसको भूलना आसान नहीं है। लोग भले ही इसे कहें कि यह बस एक हादसा था जो बीत गया अब उसे भूला देना चाहिए, तो मेरे मानना है मेरे दोस्तों कि ये मेरे बस की बात नहीं भले ही वो मेरे देश में हुआ हो या किसी और देश में।
साल तो बीत गया लेकिन दर्द इतना बड़ा दे गया कि दिलो दिमाग पर छाप छोड गया। उस दौरान अपने आँखो देखी हालात को बताऊँ तो बडी ही विकट स्थिती थी। हर तरफ एक दहशत का माहौल बना हुआ था। जिसे देखने के बाद अपनी कमजोरी झलक रही थी। कारण जो भी हो भले ही हमारे या हमारे पुलिस और सेना के अधिकारियों के सामने ये मजबूरी हो कि आसपास के लोगों को बचाया जाए जिससे ज्यादा लोग आहत ना हों लेकिन इसका फायदा उठाया आतंकियों ने, अगर शब्दों में कहें तो नादिर शाह की तरह कत्लेआम मचा दिया था आतंकियों ने। हमारी ही आँखों के सामने लगभग सौ साल पुराना ताज महल होटल धू-धू करके जलते रहा। फायर ब्रिगेड के कर्मचारी हर संभव कोशिश में रहे कि मुम्बई की शान समझे जानेवाले इस पुरातन बिल्डिंग को आग की लपटों से बचाया जाए। इसके साथ कोशिश ये थी कि अंदर फसे लोगों की थाह ली जा सके, इसी बीच मैं भी फायर ब्रिगेड के लोगों के साथ हो लिया। कुछ कदम अंदर भी गया लेकिन फायर कर्मचारियों की नज़र में आ गया लिहाजा मुझे फिर से बाहर आना पडा। लेकिन इन्तज़ार में यही था कि किसी तरह से अन्दर जाऊ। मैं मदद के साथ साथ अपने खबरनवीसी का भी काम करना चाहता था। पिछले तरफ भागा कि कहीं वहाँ से कोई रास्ता मिले। तभी चौथे माले की खिड़की पर कोई दिखा, मुझे लगा कि ताज में रुका कोई मुसाफिर है रुक गया उसे देखने को अचानक खिडकी पर एक बन्दूक दिखी.... .
यही बाकया अगले भाग में ..

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