Tuesday, October 5, 2010

एक नया अनुभव......

ये वाकया है 26 सितम्बर का है जब मैंने अपने तथाकथित हितैषी लोगों से बात की। बात करके मन मस्तिष्क सिहर उठा कि लोगों मन में कुछ और रखते हैं और बोलते कुछ और हैं। जो भी भगवान करता है , अच्छा करता है। मैंने पिछले 4 मार्च से अपने साथ हुए अनाचार और अत्याचार को शब्दों में पिरो चुका हूँ। जल्द ही एक किताब कहें या लम्बे अभिलेख के सिलसिले में आपके सामने पेश करुँगा।.......

2 comments:

निर्मला कपिला said...

देखी सब की यारी रामा
दुनिया है दोधारी रामा
सही कहा आपने अंदर से कुछ बाहर कुछ आदमी दोहरे चेहरे के साथ जी रहा है। धन्यवाद अगली कडी का इन्तजार रहेगा।

Mugdha Singh said...

har baat k teen pahlu hote hain apna paksh... dusre ka ... aur ek saach....