Monday, January 24, 2011

दासवाणी


Daaswani

ये एक श्रद्धांजली है मेरी तरफ से जोशी जी के लिए। आज एक उपमा मेरे सामने आई जो थी स्वर सूर्य कहा गया गया पंडित जी को जो एक दम सटीक है। सचमुच सुबह सुबह अगर पंडित जी को सुना जाए तो लगता है कि सूर्य का उदय उनकी अवाज से ही हो रहा है। अह लगता है स्वर के सूरज का अस्त हो गया है, आवाज है जिसके भरोसे याद करना ही बचा रह गया है।

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