Saturday, August 16, 2014

हम क्या दिखाने की कोशिश करते हैं ?

ये बात मेरे समझ से परे है कि आखिर लोग अपने प्रोफाइल जो कि आज कल आम है, क्यों इस तरह से रखते हैं कि बेहद अटपटा सा लगे। शायद अपने आप को कुछ ज्यादा ही अग्रगामी समझते हों ।यहाँ मैं अग्रगामी शब्द का उपयोग कर रहा हूँ क्योकि ये शुद्ध हिन्दी है। जरा आप भी गौर करें इन तरह तरह के प्रफाइलों को ये एक नमूना है इसके बाद भी कई इस तरह के प्रफाइल सामने आए हैं। जैसे एक और सामने आया है थोडा इसे भी गौर से देखिए तो शायद आपको भी अटपटा लगे। दरअसल ये सारी बातें
कहीं ना कहीं से ली गई हैं। भले ही वो किसी के लेखन से, कवित्त से या उनके किसी गद्य के अंश से लिए गए हैं। लेकिन अपने इस अपनी बेफिक्री दिखाने की कोशिश है। क्योकि हजार घर घूमने के बाद भी किसी को चैन नहीं आता है। लेकिन क्यों चैन नहीं आता ये आज तक मैं समझ नहीं सका हूँ। केवल इन बातों को उपरी तौर पर देखा जाए तो समझ में नहीं आता लेकिन जब इसके परिदृश्य और पिछला अंश को देखा जाए तो
इनकी गूढता समझनी होगी। हाल फिलहाल में कई बार इस तरह के लिखावट की हँसी उडाई गई। लेकिन मैने तो निश्चय कर लिया है अब रुकना नहीं है, अनवरत लिखते रहना है।  चलते चलते एक और नमूना आपको दे जाउँ इसे भी देखे क्योकि ये कुछ अजीबो करीब लगेगा। ये नमूने मुझे एक बार फिर आप से मुखातिब होने का कारण दे गए। उम्मीद है कि इस तरह के कई मसले मुझे आप से जोडे रखेंगे ।...

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