हमनें मित्रता की शुरूआत या इसे समझना तब शुरू किया जब इसे महसूस किया! कॉलेज में आने के बाद कई तरह के मित्र मिलें. लेकिन मैं अपने दिल की बातें बेहद ही अपने आप में निहीत रखा इसे कभी जाहिर नहीं किया. लेकिन अचानक से मेरे दोस्तों ने जब नई तकनीकि की सहारा लेकर मोबाईल ग्रुप शुरू किया तो हम सब एक दूसरे के करीब आए.मित्रता दिवस के अवसर पर एक दूसरे को बधाई देते हुए दोस्तों ने कई संदेश दिए मैं उनका संंकलन आपके सामने रख रहा हूँ जरा आप भी इसे देखें और अपने विचार से अवगत कराए..
1.
ईश्वर ने हमारे शरीर
की रचना कुछ इस प्रकार की है
कि ना तो हम अपनी पीठ
थपथपा सकते है और ना ही स्वयं
को लात मार सकते हैं
इसलिए हमारे जीवन में मित्र होना जरुरी है..
2.
खवाहिश नही मुझे मशहुर होने की।
आप मुझे पहचानते हो बस इतना ही काफी है।
अच्छे ने अच्छा और बुरे ने बुरा जाना मुझे।
क्यों की जीसकी जीतनी जरुरत थी उसने उतना ही पहचाना मुझे।
ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा भी कितना अजीब है,
शामें कटती नहीं, और साल गुज़रते चले जा रहे हैं....!!
3
एक अजीब सी दौड़ है ये ज़िन्दगी,
जीत जाओ तो कई अपने पीछे छूट जाते हैं,
और हार जाओ तो अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं।.
1.
ईश्वर ने हमारे शरीर
की रचना कुछ इस प्रकार की है
कि ना तो हम अपनी पीठ
थपथपा सकते है और ना ही स्वयं
को लात मार सकते हैं
इसलिए हमारे जीवन में मित्र होना जरुरी है..
2.
खवाहिश नही मुझे मशहुर होने की।
आप मुझे पहचानते हो बस इतना ही काफी है।
अच्छे ने अच्छा और बुरे ने बुरा जाना मुझे।
क्यों की जीसकी जीतनी जरुरत थी उसने उतना ही पहचाना मुझे।
ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा भी कितना अजीब है,
शामें कटती नहीं, और साल गुज़रते चले जा रहे हैं....!!
3
एक अजीब सी दौड़ है ये ज़िन्दगी,
जीत जाओ तो कई अपने पीछे छूट जाते हैं,
और हार जाओ तो अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं।.
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