आपका साथ मुझे नया उत्साह देता है।लेकिन ये तभी संभव हो पाता है जब में आपके संपर्क में आता हूँ, लेकिन कई बार इस संपर्क से मैं अलग हो जाता हूँ , जिससे उत्साह तो छोडिए मैं जीवन की राह ही छोजने लगता हूँ। लेकिन तकरीबन दो साल बाद आपके सामने आया हूँ। इस बीच काफी बदलाव हुए । जिसे मैने लडते हुए सहा। क्योकि पिछले अनुभव इतने कडवे थे जिसे सहज स्वीकार करना मेरे लिए संभव नहींथा। लेकिन पता नहीं कहाँ से शक्ति आ जाती है कि फिर से अपनी कमान संभाल लेता हूँ । ये सब संभव हो पाता है आप सबों के सहयोग से ही। जब मैं अपना बंलॉग लिखना शुरु किया था, उस समय अगर कहा जाए तो में एक अनाडी था, हालाकि अब भी कोई अगड्धत्त नहीं हूँ। अभी भी कई तीजेंमम ऐसी है, जिसे सीखने की कोशिश कर रहा हूँ।लगता है समय के साथ सीख भी जाउँगा, खैर में आप को कुछ बातें संक्षेप में बताने की कोशिश करता हूँ। विगत दिनों भारत के कई हिस्सों में सफर किया, बहुत कुछ सीखा। हाँ मित्रता का रहस्य जिसे मैने पिछले दिनों अधूरा छोडा था, उस रहस्य को समझ गया कि ये कितना अविस्मिरणीय बंधन है। इस बंधन में अगर सही तरीके सं बंध गए तो बँध गए वरना सब कुछ बेकार। मेरे पिता जी कहते थे, कि जीवन में बहुत लोग अलग अलग समय पर मिलते हैं लेकिन वो तुम्हारे मित्र नहीं हो सकते, परिचित और कुछ समय के लिए साथी जरूर हो सकते हैं। हमने अपने कॉलेज के दिनों में बहुत कम लोगों से दोस्ती की , समय की धारा में कई लोग अलग अलग राह पर निकल गए थे। लेकिन वक्त ने एक बार फिर पलटा खाया और सब मिल गए। अब सभी एक साथ मिल गए हैं तो इन्हें सहेजने के लिए हर प्रयास कर रहा हूँ। ये भी कोशिश कर रहा हूँ कि नए दोस्तों और पुराने दोस्तोंमें सामंजस्य बैठाया जाए, जिससे जीने का मजा और आए। मित्रता का रहस्य है विश्वास अगर अक दूसरे पर पूर्ण विश्वास है तो आप एक दूसरे के परम मित्र हैं। लेकिन जिसने मुझसे मित्रता का चाह रखी पिछले दिनों उसे मुझ पर विश्वास नहीं था। इसलिए बात अधूरी ही रह गई। कॉलेज के दिनोंमें बने मित्रों को आज भी मेरे उपर विश्वास है इस लिए पुरानी मित्रता अभी तक चली आ रही है और मेर ख्याल के वक्त का पलटा खाना शायद मुझे संकेत ही दे रहा है कि जिस पर विश्वास कर सबकुछ भूलाने की कोशिश कर रहे हो वह छलावा है। इसलिए पुराने मित्रों से हर राज साझा करने में कोई हर्ज नहीं और मैने हर राज को साझा किया। ...शेष जल्द ही आपके सामने लाउँगा...
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